रावण पूजित ईश
रामचन्द्र वन्दित परमॆश
राग द्वेश अहंकार अञ्य़ान नाश
समुद्र तीर वासप्रिय
सकलजन आराधन प्रिय
साम वॆद गान प्रिय
साम्ब सदाशिव हे पार्वति प्रिय
सर्व पाप परिहार
भक्त ह्रुदय संचार
भुवनैक सुन्दर हर
भाग्य दाता परमॆस्वर
विश्व जन मंगल दाता
विश्वमान्य विख्याता
वैराग्य निधि प्रदाता
विश्वॆश्वर विजय दाता
संसार बंध नाशक
संतान वर दायक
संकष्ट परिहारक
समस्त विश्व शुभ कारक
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